जाने! आपके पसंदीदा हिंदी टीवी चैनल्स डीडी फ्री डिश से क्यों गायब हुए ?
जब से डी डी फ्री डिश से पॉपुलर हिंदी चैनल्स गायब हुए है तब से लोगो के मन में सिर्फ एक ही प्रश्न है की ऐसा क्यों हुआ, सारे पॉपुलर चैनल्स का डी डी फ्री डिश से हट जाना ये उनके लिए किसी सदमे से कम नहीं है. डी डी फ्री डिश का इस्तेमाल आज देश के रूरल एरिया (गाँवो ) में ही नहीं बल्कि अर्बन (शहरो) में भी लोगो द्वारा देखा जाता है.
अब इतना सब हो जाने के वाद लोगो के मन में बहुत सारे प्रश्न है जिनके उत्तर आज हमने ढूढ़ने की कोशिश की है:
प्रश्न : डी डी फ्री डिश से पॉपुलर हिंदी चैनल्स को क्या प्रसार भारती / डी डी फ्री डिश / दूरदर्शन ने हटाया है ?
उत्तर : नहीं बिलकुल नहीं, अभी हाल ही में डी डी फ्री डिश ने 38th ऑनलाइन नीलमी की थी पर आपके किसी भी पसंदीदा चैनल ने इस ऑक्शन में भाग नहीं लिया। मतलब डी डी फ्रीडिश या सरकार ने इन्हे नहीं हटाया, बल्कि ये चैनल्स डी डी फ्री डिश पर खुद नहीं आए.
प्रश्न : क्या कारण है की डी डी फ्रीडिश के पॉपुलर चैनल्स ने प्रसार भारती की ऑनलाइन नीलामी में भाग नहीं लिया ?
उत्तर : यहाँ जब इसके बारे में पता किया गया तो मुख्य रूप से दो कारण सामने आये, और भी कारण हो सकते है पर जो हमें पता चले वो बताते है:
A - डी डी फ्री डिश की नयी सुधार पॉलिसी :
डी डी फ्रीडिश में पॉपुलर हिंदी चैनल्स की वज़ह से दूरदर्शन के खुद के चैनल्स की advertisement Revenue का बहुत कम हो जाना।
साथ साथ डी डी फ्रीडिश की नीलामी में प्राप्त पैसो से कही ज्यादा डी डी फ्री डिश का खर्चा सरकार पर आ रहा था, मतलब डी डी फ्रीडिश और दूरदर्शन के चैनल्स दोनों ही घाटे में चल रहे थे।
भारत के हर घर में पहुंचने वाला दूरदर्शन और हर मध्यम वर्ग से लेकर गरीब तक पहुंचने वाली डी डी फ्री डिश का घाटे में होना अपने आप में बता रहा था की इसमें शुरू से लेकर अब तक कोई सुधार कभी किया ही नहीं गया. जबकि दूरदर्शन के चैनल्स और डी डी फ्री डिश की कमाई "इसकी पहुँच और viewers के हिसाब से" advertisement के द्वारा बहुत ज्यादा होनी चाहिए थी।
जबकि इसी पॉपुलर्टी का फायदा प्राइवेट कंपनियों या प्राइवेट ब्रॉडकास्टर्स ने उठाया, उन्होंने अपने अपने फ्री चैनल्स को दूरदर्शन पर लगा दिया, जहाँ से उन्हें उम्मीद से दुगुनी कमाई हुयी। क्युकी लोग उनके चैनल्स ही देखते थे. आपको जानकार हैरानी होगी की इन प्राइवेट चैनल्स पर दिखाया जाने वाले प्रोग्राम्स काफी पुराने होते थे, जिनसे ब्रॉडकास्टर्स पहले ही कमा चुके होते थे. मतलब आम के आम और गुठलियों के दाम वसूल कर रहे थे.
तो मजबूरी में प्रसार भारती को अपने घाटे में सुधार के लिए डी डी फ्री डिश की पॉलिसी में कुछ सुधार करने पड़े, जैसे :
हिंदी General Entertainment Channels और हिंदी मूवी चैनल्स के स्लॉट का दाम पहले से दुगुना कर दिया गया, और क्षेत्रीय भाषाओँ के चैनल्स को काफी डिस्काउंट दिया गया.. मतलब पहले Sony PAL, Star Utsav, Zee Anmol आदि चैनल्स एक स्लॉट के लिए 6 करोड़ से लेकर 9 करोड़ तक देते थी, जो की अब बढाकर 15 से लेकर अधिकतम नीलामी तक कर दी गयी तो परिणाम स्वरुप इन सभी चैनल्स की कंपनियों ने संगठित होकर डी डी फ्री डिश का बॉयकॉट किया, ऐसा सुनने में आया.
B - ट्राई का पे टीवी और फ्री टीवी के लिए नयी शर्ते लागु करना (TRAI’s New Regulations) :
वो कहते है न की गरीबो के जब भी बुरे दिन आते है तो चारो तरफ से आते है. देखिये जब प्राइवेट कंपनियों का केस हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पहुँचा तो ट्राई (TRAI ) ने प्रत्येक टीवी चैनल को अपनी अपनी Maximum Retail Price (एमआरपी ) निर्धारित करने को कहा ताकि पेमेंट आदि को लेकर झगड़ा न हो और बिलिंग भी क्लियर रहे.
साथ ही कुछ और शर्ते भी बनाई जिसका नुकसान डीडी फ्री डिश को भी हुआ.. जानते है कैसे।
ट्राई ने कहा प्राइवेट टीवी चैनल्स कंपनियां अपने पे टीवी चैनल्स की एमआरपी निर्धारित करे और अपनी अपनी वेबसाइट पर बताये.
प्राइवेट टीवी चैनल्स कंपनियां अपने फ्री टु एयर चैनल्स भी बताये। जो फ्री मतलब फ्री होंगे
अगर किसी के कंपनी के पास एक से अधिक पे चैनल्स है तो वो उनका बुकेट बना सकती है पर उस बकेट में फ्री टू एयर चैनल नहीं होना चाहिए बस इसी बिंदु ने सभी फ्री टू एयर चैनल्स को पे चैनल्स में बदल दिया। क्युकी सभी प्राइवेट कंपनियां अपने अपने बकेट को ज्यादा से ज्यादा आकर्षित, ज्यादा चैनल वाला और कम दाम में देने की कोशिश में है.
अगर आपके सभी DD Free dish के पॉपुलर चैनल्स फ्री टू एयर रहते तो इन्हे पे चैनल्स के साथ मिलाकर नहीं बेंचा जा सकता था । तभी तो प्राइवेट कंपनियों ने उन अपने फ्री टू एयर चैनल्स को कम से कम 0.10 Paise तक की भी एमआरपी करके उन्हें पे चैनल्स की बकेट में शामिल कर लिया।
इसका एक कारण ये भी है की सभी केबल ऑपरेटर्स और पे DTH ऑपरेटर्स को डर था की कही उनके सभी कस्टमर डी डी फ्री डिश पर शिफ्ट न हो जाये, क्युकी ट्राई के नए नियम के बाद टीवी का महीने का खर्च कम होने की बजाय बढ़ गया है. तो ब्रॉडकास्टर्स ने संगठित होकर अपने सभी फ्री चैनल्स को पे कर दिया।
तो अब आप शायद समझ गए होंगे की डी डी फ्री डिश से सारे पॉपुलर चैनल्स एक दम गायब कैसे हो गए. बिलकुल गरीबो और मध्यम वर्ग के लोगो के लिए बुरी खबर है. पर ये तो सभी जानते है की कंपनी या चैनल्स चाहे सरकारी हो या प्राइवेट,समाज सेवा से ज्यादा अपने बिज़नेस पर ध्यान देती है.
On users Questions -
Know Why are the channels removed from DD Free Dish?
Purane TV channels DD Free dish se kyu hataye gaye?
By Sunil Sharma (Guest Post)
जब से डी डी फ्री डिश से पॉपुलर हिंदी चैनल्स गायब हुए है तब से लोगो के मन में सिर्फ एक ही प्रश्न है की ऐसा क्यों हुआ, सारे पॉपुलर चैनल्स का डी डी फ्री डिश से हट जाना ये उनके लिए किसी सदमे से कम नहीं है. डी डी फ्री डिश का इस्तेमाल आज देश के रूरल एरिया (गाँवो ) में ही नहीं बल्कि अर्बन (शहरो) में भी लोगो द्वारा देखा जाता है.
अब इतना सब हो जाने के वाद लोगो के मन में बहुत सारे प्रश्न है जिनके उत्तर आज हमने ढूढ़ने की कोशिश की है:
प्रश्न : डी डी फ्री डिश से पॉपुलर हिंदी चैनल्स को क्या प्रसार भारती / डी डी फ्री डिश / दूरदर्शन ने हटाया है ?
उत्तर : नहीं बिलकुल नहीं, अभी हाल ही में डी डी फ्री डिश ने 38th ऑनलाइन नीलमी की थी पर आपके किसी भी पसंदीदा चैनल ने इस ऑक्शन में भाग नहीं लिया। मतलब डी डी फ्रीडिश या सरकार ने इन्हे नहीं हटाया, बल्कि ये चैनल्स डी डी फ्री डिश पर खुद नहीं आए.
प्रश्न : क्या कारण है की डी डी फ्रीडिश के पॉपुलर चैनल्स ने प्रसार भारती की ऑनलाइन नीलामी में भाग नहीं लिया ?
उत्तर : यहाँ जब इसके बारे में पता किया गया तो मुख्य रूप से दो कारण सामने आये, और भी कारण हो सकते है पर जो हमें पता चले वो बताते है:
A - डी डी फ्री डिश की नयी सुधार पॉलिसी :
डी डी फ्रीडिश में पॉपुलर हिंदी चैनल्स की वज़ह से दूरदर्शन के खुद के चैनल्स की advertisement Revenue का बहुत कम हो जाना।
साथ साथ डी डी फ्रीडिश की नीलामी में प्राप्त पैसो से कही ज्यादा डी डी फ्री डिश का खर्चा सरकार पर आ रहा था, मतलब डी डी फ्रीडिश और दूरदर्शन के चैनल्स दोनों ही घाटे में चल रहे थे।
भारत के हर घर में पहुंचने वाला दूरदर्शन और हर मध्यम वर्ग से लेकर गरीब तक पहुंचने वाली डी डी फ्री डिश का घाटे में होना अपने आप में बता रहा था की इसमें शुरू से लेकर अब तक कोई सुधार कभी किया ही नहीं गया. जबकि दूरदर्शन के चैनल्स और डी डी फ्री डिश की कमाई "इसकी पहुँच और viewers के हिसाब से" advertisement के द्वारा बहुत ज्यादा होनी चाहिए थी।
जबकि इसी पॉपुलर्टी का फायदा प्राइवेट कंपनियों या प्राइवेट ब्रॉडकास्टर्स ने उठाया, उन्होंने अपने अपने फ्री चैनल्स को दूरदर्शन पर लगा दिया, जहाँ से उन्हें उम्मीद से दुगुनी कमाई हुयी। क्युकी लोग उनके चैनल्स ही देखते थे. आपको जानकार हैरानी होगी की इन प्राइवेट चैनल्स पर दिखाया जाने वाले प्रोग्राम्स काफी पुराने होते थे, जिनसे ब्रॉडकास्टर्स पहले ही कमा चुके होते थे. मतलब आम के आम और गुठलियों के दाम वसूल कर रहे थे.
तो मजबूरी में प्रसार भारती को अपने घाटे में सुधार के लिए डी डी फ्री डिश की पॉलिसी में कुछ सुधार करने पड़े, जैसे :
हिंदी General Entertainment Channels और हिंदी मूवी चैनल्स के स्लॉट का दाम पहले से दुगुना कर दिया गया, और क्षेत्रीय भाषाओँ के चैनल्स को काफी डिस्काउंट दिया गया.. मतलब पहले Sony PAL, Star Utsav, Zee Anmol आदि चैनल्स एक स्लॉट के लिए 6 करोड़ से लेकर 9 करोड़ तक देते थी, जो की अब बढाकर 15 से लेकर अधिकतम नीलामी तक कर दी गयी तो परिणाम स्वरुप इन सभी चैनल्स की कंपनियों ने संगठित होकर डी डी फ्री डिश का बॉयकॉट किया, ऐसा सुनने में आया.
B - ट्राई का पे टीवी और फ्री टीवी के लिए नयी शर्ते लागु करना (TRAI’s New Regulations) :
वो कहते है न की गरीबो के जब भी बुरे दिन आते है तो चारो तरफ से आते है. देखिये जब प्राइवेट कंपनियों का केस हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पहुँचा तो ट्राई (TRAI ) ने प्रत्येक टीवी चैनल को अपनी अपनी Maximum Retail Price (एमआरपी ) निर्धारित करने को कहा ताकि पेमेंट आदि को लेकर झगड़ा न हो और बिलिंग भी क्लियर रहे.
साथ ही कुछ और शर्ते भी बनाई जिसका नुकसान डीडी फ्री डिश को भी हुआ.. जानते है कैसे।
ट्राई ने कहा प्राइवेट टीवी चैनल्स कंपनियां अपने पे टीवी चैनल्स की एमआरपी निर्धारित करे और अपनी अपनी वेबसाइट पर बताये.
प्राइवेट टीवी चैनल्स कंपनियां अपने फ्री टु एयर चैनल्स भी बताये। जो फ्री मतलब फ्री होंगे
अगर किसी के कंपनी के पास एक से अधिक पे चैनल्स है तो वो उनका बुकेट बना सकती है पर उस बकेट में फ्री टू एयर चैनल नहीं होना चाहिए बस इसी बिंदु ने सभी फ्री टू एयर चैनल्स को पे चैनल्स में बदल दिया। क्युकी सभी प्राइवेट कंपनियां अपने अपने बकेट को ज्यादा से ज्यादा आकर्षित, ज्यादा चैनल वाला और कम दाम में देने की कोशिश में है.
अगर आपके सभी DD Free dish के पॉपुलर चैनल्स फ्री टू एयर रहते तो इन्हे पे चैनल्स के साथ मिलाकर नहीं बेंचा जा सकता था । तभी तो प्राइवेट कंपनियों ने उन अपने फ्री टू एयर चैनल्स को कम से कम 0.10 Paise तक की भी एमआरपी करके उन्हें पे चैनल्स की बकेट में शामिल कर लिया।
इसका एक कारण ये भी है की सभी केबल ऑपरेटर्स और पे DTH ऑपरेटर्स को डर था की कही उनके सभी कस्टमर डी डी फ्री डिश पर शिफ्ट न हो जाये, क्युकी ट्राई के नए नियम के बाद टीवी का महीने का खर्च कम होने की बजाय बढ़ गया है. तो ब्रॉडकास्टर्स ने संगठित होकर अपने सभी फ्री चैनल्स को पे कर दिया।
तो अब आप शायद समझ गए होंगे की डी डी फ्री डिश से सारे पॉपुलर चैनल्स एक दम गायब कैसे हो गए. बिलकुल गरीबो और मध्यम वर्ग के लोगो के लिए बुरी खबर है. पर ये तो सभी जानते है की कंपनी या चैनल्स चाहे सरकारी हो या प्राइवेट,समाज सेवा से ज्यादा अपने बिज़नेस पर ध्यान देती है.
On users Questions -
Know Why are the channels removed from DD Free Dish?
Purane TV channels DD Free dish se kyu hataye gaye?
By Sunil Sharma (Guest Post)
Please add telugu channels in mpeg2 set top box.
ReplyDeleteSony pal Chanel DD free dish par kab aayaga
ReplyDeleteSony sab kab Aayega dd free dish par
ReplyDeleteमराठी बातम्या साठी एखादा चॅनेल सुरू करा
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